246957175 126463819750791 6622821635896703983 n - Karwa Chauth Vrat Katha करवा चौथ व्रत की कथा

Karwa Chauth Vrat Katha करवा चौथ व्रत की कथा

धर्म

Karwa Chauth Vrat Katha करवा चौथ व्रत की कथा

Karwa Chauth Vrat Katha: वैदिक ज्योतिष अनुसार करवा चौथ का व्रत इस साल 13 अक्टूबर को रखा जाएगा। . इस दिन महिलाएं बिना अन्न और पानी के पूरा दिन उपवास करती हैं और रात को करवा चौथ की पूजा और चांद को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। सात ही इस दिन करवा चौथ व्रत कथा सुनने का विशेष महत्व है। मान्यता है इस कथा को पढ़े बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
करवाचौथ की कथा
काफी समय पहले की बात है। एक साहूकार था। उसके सात पुत्र और एक पुत्री थी। सभी भाई अपनी बहन को बहुत प्यार करते थे। वहीं एक साथ ही बैठकर भोजन करते थे। एक दिन जब कराचौथ आई तो बहन ने अपनी भाभियों के साथ करवाचौथ का व्रत रखा। रात को सभी भाई खाना खाने आए और उन्होंने बहन से भी खाना खाने को कहा। तब ही मां ने कहा कि इसका करवाचौथ का व्रत है यह चांद निकलने के बाद ही खाएगी।
यह सुनकर उसके भाइयों ने जंगल में आग जलाकर छलनी में से चांद दिखा दिया। इसके बाद उसने चांद को अर्घ्य दे दिया और खाना खाने बैठ गई। जैसे ही उसने पहला टुकड़ा तोड़ा तो उसे छींक आ गई और दूसरे टुकड़े में बाल निलका। वहीं जैसे ही उनसे तीसरा टुकड़ा तोड़ा तो उसे अपने पति की मृत्यु की खबर प्राप्त होती है। वह यह सुनकर रोने लगी।
इसके बाद उसकी भाभी ने उसे भाई हरकत के बारे में बताती है। कि उसके साथ ऐसी घटना क्यों हुई। भाभी ने बताया कि करवा चौथ का व्रत बिना चांंद के टूटने से चंद्र देवता नाराज हो गए। इस बात को सुनकर उसने प्रण लिया कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार किसी भी कीमत पर नहीं होने देगी। जब तब वह उन्हें जीवन नहीं कर लेती। इसके बाद वह पूरी साल तक अपने पति की रक्षा के लिए उसके शव के पास ही रहती है।

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