1527837 makar sankranti - 2023 का पहला त्यौहार मकर संक्रांति धूमधाम से मनाते हैं।

2023 का पहला त्यौहार मकर संक्रांति धूमधाम से मनाते हैं।

अयोध्या आस-पास

2023 का पहला त्यौहार मकर संक्रांति धूमधाम से मनाते हैं।

1527837 makar sankranti - 2023 का पहला त्यौहार मकर संक्रांति धूमधाम से मनाते हैं।

अयोध्या।

मकर संक्रांति पर्व का वर्णन

मकर संक्रांति एक हिंदू त्योहार है जो फसल के मौसम की शुरुआत और सूर्य के मकर राशि (मकर राशि) में प्रवेश का प्रतीक है। यह आम तौर पर 14 जनवरी को मनाया जाता है, और यह एक भरपूर फसल के लिए धन्यवाद देने और आने वाले वर्ष में अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करने का समय है। त्योहार पूरे भारत में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है, जिसमें पतंगबाजी सबसे आम है। कुछ स्थानों पर, लोग पवित्र नदियों में डुबकी भी लगाते हैं और सूर्य देव की पूजा (पूजा) करते हैं।

पौराणिक कथाओ के अनुसार

श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण के मुताबिक, शनि महाराज का अपने पिता से वैर भाव था क्योंकि सूर्य देव ने उनकी माता छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज से भेद-भाव करते देख लिया था, इस बात से नाराज होकर सूर्य देव ने संज्ञा और उनके पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया था। इससे शनि और छाया ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया था।

यमराज ने की थी तपस्या।

पिता सूर्यदेव को कुष्ट रोग से पीड़ित देखकर यमराज काफी दुखी हुए। यमराज ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवाने के लिए तपस्या की। लेकिन सूर्य ने क्रोधित होकर शनि महाराज के घर कुंभ जिसे शनि की राशि कहा जाता है उसे जला दिया। इससे शनि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था। यमराज ने अपनी सौतली माता और भाई शनि को कष्ट में देखकर उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को काफी समझाया। तब जाकर सूर्य देव शनि के घर कुंभ में पहुंचे।

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