untitled 19 copy7 - साकेत महाविद्यालय समिति के चुनाव पर लगा दाग,प्रक्रिया पर उठे सवाल।

साकेत महाविद्यालय समिति के चुनाव पर लगा दाग,प्रक्रिया पर उठे सवाल।

अयोध्या उत्तर प्रदेश
साकेत महाविद्यालय समिति के चुनाव पर लगा दाग,प्रक्रिया पर उठे सवाल

untitled 19 copy7 - साकेत महाविद्यालय समिति के चुनाव पर लगा दाग,प्रक्रिया पर उठे सवाल।

अयोध्या।
अयोध्या कामता प्रसाद सुंदर लाल साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्रबन्ध समिति के चुनाव में नियमों के उल्लंघन का दाग लग गया है। जनवरी में हुए समिति के इस चुनाव में न केवल नियमों की अनदेखी का मामला सामने आया है बल्कि डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्विद्यालय की परिनियमावली को भी दरकिनार कर दिया गया है। इसे लेकर साधारण सभा के सदस्य एवं संरक्षक साकेत महाविद्यालय समिति डॉ निर्मल खत्री की शिकायत पर जांच शुरू कर दी गई है।
7 जनवरी को साकेत महाविद्यालय समिति की साधारण सभा की वार्षिक बैठक में प्रबन्ध समिति का चुनाव कराया गया। इसके लिए कुलपति की ओर से प्रो. शैलेंद्र कुमार वर्मा को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था। इस चुनाव प्रक्रिया में यूपी स्टेट यूनिवर्सिटी एक्ट 1973, अवध विश्वविद्यालय की परिनियमावली और समिति की नियमावली का घोर उल्लंघन किया गया
चुनाव में नियमों के विरुद्ध जाकर दो बार कोषाध्यक्ष रहे, रामचंद्र जायसवाल को तीसरी बार भी कोषाध्यक्ष चुन लिया गया, जबकि साकेत महाविद्यालय समिति की नियमावली की धारा आठ की उपधारा ( 5) में है कि कोई भी पदाधिकारी लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए उसी पद पर नहीं चुना जा सकता है। इतना ही नहीं चुनाव में दो परिवारों से एक से अधिक सदस्य चुन लिए गए हैं। जिसमें शैलेन्द्र मोहन मिश्र के अतिरिक्त उनके परिवार से भाई के (पुत्र) यतींद्र मोहन मिश्र और अर्पित अग्रवाल के परिवार से उनकी (पत्नी) नैना अग्रवाल और मां पारुल अग्रवाल को भी सदस्य चयनित कर लिया गया है।
यह तब हुआ जब महाविद्यालय के नियमों और उपबंधों के अधीन दो सदस्य धारा 20 के स्पष्टीकरण के तहत एक दूसरे के नातेदार नहीं होंगे। इसके बावजूद पूरी प्रक्रिया में नियमों को दरकिनार करते हुए मनमाने ढंग से चुनाव करा लिया गया। 
संरक्षक की ओर से उठाए गए सवाल, चुनाव निरस्त की मांग, कुलपति, चुनाव पर्यवेक्षके व सोसायटी रजिस्ट्रार को भेजे पत्र में संरक्षक डॉ निर्मल खत्री की ओर से अहम सवाल उठाए गए हैं। नियमों और परिनियमावली का हवाला देते हुए संपूर्ण चुनाव प्रक्रिया निरस्त करने की मांग की गई है। इतना ही नहीं सात जनवरी की बैठक में अध्यक्ष के अचानक चले जाने को लेकर बैठक को भी पूर्ण नहीं मानते हुए पुन: बैठक बुलाए जाने के लिए कहा है। कुलपति कार्यालय को प्राप्त पत्र में नियमों के सभी दस्तावेज भी दिए गए हैं। 

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