images 6 2 - श्रीरामलला को लगता है जिस मिठाई का भोग, उसे मिलेगा जीआई टैग, खड़ाऊ और गुड़ भी शामिल।

श्रीरामलला को लगता है जिस मिठाई का भोग, उसे मिलेगा जीआई टैग, खड़ाऊ और गुड़ भी शामिल।

अयोध्या उत्तर प्रदेश

श्रीरामलला को लगता है जिस मिठाई का भोग, उसे मिलेगा जीआई टैग, खड़ाऊ और गुड़ भी शामिल।

images 6 2 - श्रीरामलला को लगता है जिस मिठाई का भोग, उसे मिलेगा जीआई टैग, खड़ाऊ और गुड़ भी शामिल।

अयोध्या।

अयोध्या श्री रामनगरी में श्रीरामलला को लगने भोग में प्रसिद्ध खुरचन पेड़ा को अब जीआई टैग मिलेगा, इसके साथ ही चंदन टीका और खड़ाऊ को भी जीआई उत्पाद में शामिल करने की योजना है। काशी के रहने वाले जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत ने इन उत्पादों को ओडीओपी में शामिल करने के लिए आवेदन किया है, इसके लिए जीआई रजस्ट्री चेन्नई को रिक्वेस्ट भेजी गई है। इससे पहले अयोध्या में हनुमान गढ़ी के लड्ड को जीआई टैग मिल चुका है।

जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत के मुताबिक इन उत्पादों को जीआई टैग देने संबंधी सभी तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर विचार करने के बाद आवेदन को स्वीकार किया गया है। उम्मीद है कि बहुत जल्दी इन उत्पादों को जीआई टैग मिल जाएगा। इसके बाद ये सभी भारत की बौद्धिक संपदा में शामिल हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि भगवान राम को प्राचीन काल से खुरचन पेड़ा बहुत पसंद है, शुरू से मंदिर में इसी प्रसाद का भोग लगता रहा है। इसी प्रकार अयोध्या में 12 से अधिक तरीकों से चंदन टीका तैयार होता है। इसका इस्तेमाल सभी धर्म और संप्रदायों के लोग अपनी अपनी परंपरा के मुताबिक करते रहे हैं, यह चंदन टीका तमाम संतों की पहचान भी होती है। इससे पता चला जाता है कि कौन संत किस संप्रदाय या परंपरा से जुड़े हैं।

डॉ. रजनीकांत के मुताबिक दुनिया में अयोध्या ही ऐसी जगह है जहां 14 वर्षों तक खड़ाऊ ने राज किया था। उसी समय से अवध क्षेत्र ही नहीं, सनातन प्रेमियों में खड़ाऊ को बेहद पवित्र दर्जा दिया गया है। अयोध्या में अलग अलग साइज और डिजाइन के खड़ाऊ बनाते हैं, यहां से लोग पूजा के लिए खड़ाऊ खरीद कर भी ले जाते हैं। इसी प्रकार यहां के गुड़ की मिठास का कोई जवाब नहीं है, इस गुड़ में यहां की जलवायु और सरयू के पानी का काफी असर होता है।

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