✍नितेश सिंह रुदौली, अयोध्या
- रूदौली क्षेत्र में चल रहे श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन चित्रकूट धाम से पधारी कथा व्यास देवी अमृतानंदमयी जी ने अपने श्रीमुख से बाराह अवतार, किपल अवतार, दक्ष यज्ञ की कथा, बालक ध्रुव की कथा, जड़ भरत की कथा झांकी के साथ श्री कृष्ण अवतार तथा अजामिल की कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। भागवत मर्मज्ञ कथा व्यास ने कहा कि प्रारम्भ में सृष्टि में जल ही जल था। जिससे सृष्टि का कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा था। क्योंकि पृथ्वी व चारों वेद ब्रह्मा जी से चुराकर हिरण्याक्ष रसातल में ले गया था।
- भगवान ने बाराह अवतार धारण कर हिरण्याक्ष का वध किया और पृथ्वी व वेद को वापस लाये। उन्होंने कपिल अवतार की कथा सुनाई। शिव जी के द्वारा दक्ष का यज्ञ विध्वंस किया गया। दक्ष यज्ञ की सम्पूर्ण कथा विस्तार से सुनाई। भक्त ध्रुव की कथा सुन कर श्रद्धालु भाव विभोर हो गये।
- अयोध्या धाम से पधारे आचार्य धनन्जय मिश्र जी ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ प्रात: दस बजे से अरणी मंथन का कार्यक्रम कराया गया। अग्नि देव का हवन कुण्ड में प्रवेश होते ही यज्ञ भगवान की जय और भगवान श्रीराम के नारों से पूरा यज्ञ परिसर गूंज उठा। अग्नि प्रवेश होते ही यज्ञ में पहुंचे श्रद्धालुओं ने यज्ञशाला की परिक्रमा करना प्रारंभ कर दिए। परिक्रमा के दौरान श्रद्धालुओं के जयकारे से यज्ञस्थल भक्तिमय हो गया।
- यज्ञ के आचार्य ने कहा कि यज्ञ शुभारंभ के लिए सर्वश्रेष्ठ है अरणी मंथन से उत्पन्न अग्नि। यज्ञ के द्वारा ही ईश्वर की उपासना करते हैं। यज्ञ में आहुति के लिए अग्रि की आवश्यकता होती है। अग्रि व्यापक है लेकिन यज्ञ के निमित्त उसे प्रकट करने के लिए भारत में वैदिक पद्धति है जिसे अरणी मंथन कहते हैं।
- आधुनिक युग में माचिस से लेकर गैस लाइटर होने के बाद भी यज्ञ शुभारंभ के लिए शास्त्रों में बताई गई सदियों पुरानी पद्धति से ही अग्नि को उत्पन्न कर गोपाल महायज्ञ की आहुति प्रदान की गई ! इस कार्यक्रम के मुख्य यजमान भाजपा नेता श्री सर्वजीत सिंह जी ने स्वयं अरणी मंथन करके यज्ञनारायण भगवान को प्रगट कर यज्ञशाला का परिक्रमा किया।