धार्मिक-कथाएं

श्रावण मास का आध्यात्मिक महत्व क्या है।

श्रावण मास का आध्यात्मिक महत्व क्या है? आइए जानते हैं।

धार्मिक कथाएं।

धार्मिक कथाओं के अनुसार ‘श्रावण’ यानी सावन माह में भगवान शिव की अराधना का विशेष महत्त्व है। इस माह में पड़ने वाले सोमवार “सावन के सोमवार” कहे जाते हैं, जिनमें स्त्रियाँ तथा विशेषतौर से कुंवारी युवतियाँ भगवान शिव के निमित्त व्रत आदि रखती हैं।

जानिए भगवान शिव को क्यों प्रिय है यह महीना, किस तरह की पूजा से क्या लाभ मिलते हैं

हरषे हेतु हेरि हर ही को। किय भूषन तिय भूषन ती को।।

नाम प्रभाउ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।

दूसरी मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के समय समुद्र से निकले हलाहल विष को भगवान भोलेनाथ अपने गले में धारण किया, जिससे उनके गले में हो रही जलन को शांत करने के लिए सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया, इससे उनको उस हलाहल विष के प्रभाव से शांति मिली और वह प्रसन्न हुए, तब से भगवान शिव को जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है।

श्रावण मास में सोमवार व्रत या अन्य व्रत शुरू किया जा सकता है, इस मास में जो व्यक्ति सोमवार को विल्वपत्र एवं दूध-दही, घी, शहद , गन्ने का रस इत्यादि से भोलेनाथ का अभिषेक करता है, भोलेनाथ उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

श्रावण मास में पार्थिव लिंग पूजन का विशेष महत्व होता है, जिन भक्तों को पुत्र की कामना होती है, वो पार्थिव लिंग पूजन करें, शिवार्चन करें और गाय के दूध से अभिषेक करें, इससे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जो भक्त रोग, शोक से पीड़ित हों, वह भगवान भोलेनाथ को गंगाजल एवं कुश मिश्रित जल से अभिषेक करें, सुहागिन स्त्रियां अपने पति एवं पुत्र की लंबी आयु के लिए व्रत रख सकती हैं।

कुंवारी कन्याएं अच्छे पति को प्राप्त करने के लिए सोमवार व्रत करती हैं, जो भक्त जिस कामना को लेकर भोलेनाथ के दरबार में जाता है और श्रद्धा से पूजन-पाठ करता है, उसकी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। ज्योतिष के दृष्टिकोण से श्रावण मास में सूर्य राशि परिवर्तन करते हैं, जिसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है, श्रावण मास में भोलेनाथ और माता जी की असीम अनुकंपा रहती है।

1. भगवान शिव की पूजा :-

सावन मास में भगवान शंकर की पूजा उनके परिवार के सदस्यों संग करनी चाहिए। इस माह में भगवान शिव के ‘रुद्राभिषेक’ का विशेष महत्त्व है। इसलिए इस मास में प्रत्येक दिन ‘रुद्राभिषेक’ किया जा सकता है, जबकि अन्य माह में शिववास का मुहूर्त देखना पड़ता है। भगवान शिव के रुद्राभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, शमीपत्र, कुशा तथा दूब आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं। अंत में भांग, धतूरा तथा श्रीफल भोलेनाथ को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है।

शिवलिंग पर बेलपत्र तथा शमीपत्र चढ़ाने का वर्णन पुराणों में भी किया गया है। बेलपत्र भोलेनाथ को प्रसन्न करने के शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि ‘आक’ का एक फूल शिवलिंग पर चढ़ाने से सोने के दान के बराबर फल मिलता है। हज़ार आक के फूलों की अपेक्षा एक कनेर का फूल, हज़ार कनेर के फूलों को चढ़ाने की अपेक्षा एक बिल्व पत्र से दान का पुण्य मिल जाता है। हज़ार बिल्वपत्रों के बराबर एक द्रोण या गूमा फूल फलदायी होते हैं। हज़ार गूमा के बराबर एक चिचिड़ा, हज़ार चिचिड़ा के बराबर एक कुश का फूल, हज़ार कुश फूलों के बराबर एक शमी का पत्ता, हज़ार शमी के पत्तों के बराकर एक नीलकमल, हज़ार नीलकमल से ज्यादा एक धतूरा और हज़ार धतूरों से भी ज्यादा एक शमी का फूल शुभ और पुण्य देने वाला होता है।

2. बेलपत्र :

भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल तरीका उन्हें ‘बेलपत्र’ अर्पित करना है। बेलपत्र के पीछे भी एक पौराणिक कथा का महत्त्व है। इस कथा के अनुसार- “भील नाम का एक डाकू था। यह डाकू अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटता था। एक बार सावन माह में यह डाकू राहगीरों को लूटने के उद्देश्य से जंगल में गया और एक वृक्ष पर चढ़कर बैठ गया। एक दिन-रात पूरा बीत जाने पर भी उसे कोई शिकार नहीं मिला। जिस पेड़ पर वह डाकू छिपा था, वह बेल का पेड़ था। रात-दिन पूरा बीतने पर वह परेशान होकर बेल के पत्ते तोड़कर नीचे फेंकने लगा। उसी पेड़ के नीचे एक शिवलिंग स्थापित था। जो पत्ते वह डाकू तोडकर नीचे फेंक रहा था, वह अनजाने में शिवलिंग पर ही गिर रहे थे। लगातार बेल के पत्ते शिवलिंग पर गिरने से भगवान शिव प्रसन्न हुए और अचानक डाकू के सामने प्रकट हो गए और डाकू को वरदान माँगने को कहा। उस दिन से बिल्व-पत्र का महत्ता और बढ़ गया।

3. सावन सोमवार का महत्त्व :-

श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को शिव के निमित्त व्रत किए जाते हैं। इस मास में शिव जी की पूजा का विशेष विधान हैं। कुछ भक्त तो पूरे मास ही भगवान शिव की पूजा-आराधना और व्रत करते हैं। अधिकांश व्यक्ति केवल श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार का ही व्रत करते हैं। श्रावण मास के सोमवारों में शिव के व्रतों, पूजा और शिव जी की आरती का विशेष महत्त्व है। शिव के ये व्रत शुभदायी और फलदायी होते हैं। इन व्रतों को करने वाले सभी भक्तों से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं। यह व्रत भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए किये जाते हैं। व्रत में भगवान शिव का पूजन करके एक समय ही भोजन किया जाता है। व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान कर ‘शिव पंचाक्षर मन्त्र’ का जप करते हुए पूजन करना चाहिए।

सावन के महीने में सोमवार महत्वपूर्ण होता है। सोमवार का अंक 2 होता है, जो चन्द्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। चन्द्रमा मन का संकेतक है और वह भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान है। ‘चंद्रमा मनसो जात:’ यानी ‘चंद्रमा मन का मालिक है’ और उसके नियंत्रण और नियमण में उसका अहम योगदान है। यानी भगवान शंकर मस्तक पर चंद्रमा को नियंत्रित कर उक्त साधक या भक्त के मन को एकाग्रचित कर उसे अविद्या रूपी माया के मोहपाश से मुक्त कर देते हैं। भगवान शंकर की कृपा से भक्त त्रिगुणातीत भाव को प्राप्त करता है और यही उसके जन्म-मरण से मुक्ति का मुख्य आधार सिद्ध होता है।

4. काँवर :-

ऐसी मान्यता है कि भारत की पवित्र नदियों के जल से अभिषेक किए जाने से शिव प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। ‘काँवर’ संस्कृत भाषा के शब्द ‘कांवांरथी’ से बना है। यह एक प्रकार की बहंगी है, जो बाँस की फट्टी से बनाई जाती है। ‘काँवर’ तब बनती है, जब फूल-माला, घंटी और घुंघरू से सजे दोनों किनारों पर वैदिक अनुष्ठान के साथ गंगाजल का भार पिटारियों में रखा जाता है। धूप-दीप की खुशबू, मुख में ‘बोल बम’ का नारा, मन में ‘बाबा एक सहारा।’ माना जाता है कि पहला ‘काँवरिया’ रावण था। श्रीराम ने भी भगवान शिव को कांवर चढ़ाई थी।

5. हरियाली तीज :-

सावन का महीना प्रेम और उत्साह का महीना माना जाता है। इस महीने में नई-नवेली दुल्हन अपने मायके जाकर झूला झूलती हैं और सखियों से अपने पिया और उनके प्रेम की बातें करती है। प्रेम के धागे को मजबूत करने के लिए इस महीने में कई त्योहार मनाये जाते हैं। इन्हीं में से एक त्योहार है- ‘हरियाली तीज’। यह त्योहार हर साल श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस त्योहार के विषय में मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर शिव ने ‘हरियाली तीज’ के दिन ही पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस त्योहार के विषय में यह मान्यता भी है कि इससे सुहाग की उम्र लंबी होती है।

कुंवारी कन्याओं को इस व्रत से मनचाहा जीवन साथी मिलता है। हरियाली तीज में हरी चूड़ियां, हरा वस्त्र और मेंहदी का विशेष महत्व है। मेंहदी सुहाग का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। इसलिए महिलाएं सुहाग पर्व में मेंहदी जरूर लगाती हैं। इसकी शीतल तासीर प्रेम और उमंग को संतुलन प्रदान करने का भी काम करती है। माना जाता है कि मेंहदी बुरी भावना को नियंत्रित करती है। हरियाली तीज का नियम है कि क्रोध को मन में नहीं आने दें। मेंहदी का औषधीय गुण इसमें महिलाओं की मदद करता है।

सावन में पड़ने वाली फुहारों से प्रकृति में हरियाली छा जाती है। सुहागन स्त्रियां प्रकृति की इसी हरियाली को अपने ऊपर समेट लेती हैं। इस मौके पर नई-नवेली दुल्हन को सास उपहार भेजकर आशीर्वाद देती है। कुल मिलाकर इस त्योहार का आशय यह है कि सावन की फुहारों की तरह सुहागनें प्रेम की फुहारों से अपने परिवार को खुशहाली प्रदान करेंगी और वंश को आगे बढ़ाएंगी।

6. वर्षा का मौसम :-

सावन के महीने में सबसे अधिक बारिश होती है, जो शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करती है। भगवान शंकर ने स्वयं सनत कुमारों को सावन महीने की महिमा बताई है कि मेरे तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बांये चन्द्रमा और अग्नि मध्य नेत्र है। 

जब सूर्य कर्क राशि में गोचर करता है, तब सावन महीने की शुरुआत होती है। सूर्य गर्म है, जो ऊष्मा देता है, जबकि चंद्रमा ठंडा है, जो शीतलता प्रदान करता है। इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से झमाझम बारिश होती है, जिससे लोक कल्याण के लिए विष को पीने वाले भोलेनाथ को ठंडक व सुकून मिलता है। इसलिए शिव का सावन से इतना गहरा लगाव है।

।। हर हर महादेव हर हर महादेव।।

editor

Recent Posts

चोरी के सामान व तमंचे के साथ दो गिरफ्तार, दो दिन पूर्व हुई थी चोरी।

चोरी के सामान व तमंचे के साथ दो गिरफ्तार, दो दिन पूर्व हुई थी चोरी।… Read More

1 day ago

वाटर प्लांट में संदिग्ध परिस्थितों में मिला युवक का शव, परिजनों जताया हत्या का शक। अयोध्या।

वाटर प्लांट में संदिग्ध परिस्थितों में मिला युवक का शव, परिजनों जताया हत्या का शक।… Read More

1 day ago

चोरी की बाइक के साथ दो गिरफ्तार।

चोरी की बाइक के साथ दो गिरफ्तार। अम्बेडकर नगर। अम्बेडकर नगर जिले के जैतपुर थाना… Read More

1 day ago

पहलगाम की घटना के विरोध में व्यापारियों ने किया प्रदर्शन।

पहलगाम की घटना के विरोध में व्यापारियों ने किया प्रदर्शन। अयोध्या। अयोध्या कश्मीर के पहलगाम… Read More

2 days ago

परिवार पर दबंगों का हमला,बच्चों के खेलने को लेकर हुआ था विवाद, मुकदमा दर्ज।

परिवार पर दबंगों का हमला,बच्चों के खेलने को लेकर हुआ था विवाद, मुकदमा दर्ज। बीकापुर_अयोध्या।… Read More

2 days ago

कॉलेज जा रहे छात्र को पिकअप ने मारी टक्कर, गंभीर हालत में मेडिकल रेफर।

कॉलेज जा रहे छात्र को पिकअप ने मारी टक्कर, गंभीर हालत में मेडिकल रेफर। बीकापुर_अयोध्या।… Read More

2 days ago

Warning: Undefined variable $tags_ids in /home/onlinesa/public_html/wp-content/plugins/accelerated-mobile-pages/classes/class-ampforwp-infinite-scroll.php on line 216