रामायण कालीन कुल देवी मां के मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु।

अयोध्या ।
मां भगवती की उपासना का पावन पर्व वासंतिक नवरात्रि बुधवार से शुरू हो गया है, अयोध्या स्थित रामायण कालीन देवी मां के मंदिरों से लेकर वैष्णव मंदिर में सुबह से ही पूजा अर्चना हो रहा है। कलश स्थापना के साथ नौ दिवसीय अनुष्ठान का श्री गणेश हो गया है। भक्त सुबह से ही मां का पूजन कर सुख – समृद्धि की कामना कर रहे है। हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2080 हो रहा है, लोग एक दूसरे को नववर्ष की हार्दिक बधाई दे रहे है। भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में माता सीता की कुलदेवी छोटी देवकाली मंदिर में नवरात्र दिनों में मां के का पूजन के लिए भक्तों का जनसैलाब उमड़ रहता है। मंदिर में श्रद्धालुओं ने आस्था और श्रद्धा के साथ दर्शन करते है। इन्हें नगर देवी सर्वमंगला पार्वती माता गौरी के रूप में भक्त पूजते है। मान्यता है कि मां सीता जब जनकपुर से अपने ससुराल अयोध्या के लिए चलीं थीं, तो अपनी कुलदेवी माता पार्वती की प्रतिमा साथ ले आई थी। महाराज दशरथ ने अयोध्या स्थित सप्तसागर के ईशान कोण पर पार्वती जी के मंदिर का निर्माण कराया था, जहां माता सीता और राजकुल की अन्य रानियां पूजा-अर्चना के लिए जाया करती थी। ऐतिहासिक तथ्यों की मानें तो ईसा की तीसरी शताब्दी तक मंदिर की भव्यता और श्रेष्ठता अदुतीय था। हूणों और मुगलों देवकाली मंदिर पर दो बार आक्रमण कर इस तहस नहस कर दिया। पहली बार इसका पुनर्निर्माण पुष्यमित्र ने कराया। दूसरी बार जब मुगलों ने ध्वस्त किया, तो बिंदु संप्रदाय के महंत ने इस मंदिर के स्थान पर छोटी कोठरी का निर्माण कराया था।