पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की है। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मैंने बैठक की शुरुआत में ही कहा कि बतौर मुख्यमंत्री मैं इस पद पर अब नहीं बनी रहना चाहती।” लोकसभा चुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन घोर निराशाजनक रहा है जहां उसके सांसदों की संख्या साल 2014 के 34 के मुकाबले इस बार घटकर 22 रह गई है।
भाजपा ने राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत दर्ज की और उसका वोट प्रतिशत 2014 के 17 प्रतिशत के मुकाबले इस बार 40.5 प्रतिशत तक बढ़ गया। यहां तक कि जिन सीटों पर टीएमसी जीती वहां भी भाजपा दूसरे नंबर पर रही जबकि वाम दल के हिस्से तीसरा स्थान आया।
पार्टी के इस खराब प्रदर्शन का अब विश्लेषण शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस को स्तब्ध करने वाले प्रदर्शन के पीछे मोदी लहर और गत वर्ष खून-खराबे के साथ हुए पंचायत चुनावों के बाद टीएमसी द्वारा अल्पसंख्यकों का कथित तौर पर तुष्टीकरण मतदाताओं के ध्रुवीकरण की वजह माना जा रहा है।
भगवा पार्टी का जानाधार अचानक बढ़ने से हैरान तृणमूल कांग्रेस खेमा बंट गया है। स्थानीय नेताओं ने शीर्ष पार्टी पदों पर काबिज लोगों की ”दूरदर्शिता” की कमी और उनके ”अहंकार” भरे रवैये को खराब चुनावी प्रदर्शन के पीछे की मुख्य वजह बताया। हालांकि टीएससी का वोट प्रतिशत इस बार बढ़ा है। उसे 2014 के 39 प्रतिशत के मुकाबले इस बार 43 प्रतिशत वोट मिले हैं लेकिन वह दक्षिण बंगाल के आदिवासी बहुल जंगलमहल और उत्तर में चाय बागान वाले क्षेत्रों में अपना गढ़ बचाए रखने में नाकाम रही।