भू-माफिया को लाभ पहुंचाने के लिये खेला गया ध्वस्तीकरण का खेल
भू-माफिया को लाभ पहुंचाने के लिये खेला गया ध्वस्तीकरण का खेल
मांझा जमथरा के डूब क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग और हजारों की तादात में बन गए अवैध मकान अयोध्या विकास प्राधिकरण और भू माफिया के गठजोड़ का नतीजा है। प्राधिकरण अब ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर खुद सवालों के घेरे में आ गया है। हालांकि ध्वस्तीकरण की यह कार्रवाई भी मात्र दिखावा भर की हुई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आठ साल में प्राधिकरण की निगाह यहां क्यों नहीं पड़ी। यही कारण है कि प्राधिकरण की ओर से की गई ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को भू-माफिया और प्राधिकरण के बीच गठजोड़ का खेल माना जा रहा है।
बताया जाता है कि अब चहेते भू-माफिया को लाभ पहुंचाने के लिए जिम्मेदारों को अब डूब क्षेत्र में निर्माण और अवैध रूप से प्लाटिंग की याद आई। जिसके चलते बीते दिनों 6 प्लाटों पर हो रहे निर्माण ध्वस्त किए गए और अब करीब 135 आवासीय लोगों को नोटिस देने की तैयारी की जा रही है। इस पूरे मामले के पीछे भू-माफिया के एक बड़े काकस का सक्रिय होना बताया जा रहा है। इसी काकस का अवैध प्लाटिंग का काम पूरे शहर में फैला हुआ है। इसमें कई बड़े सफेदपोश तक शामिल हैं जिनकी निगाह अब इस इलाके की जमीनों पर लगी हुई है।
सूत्रों पर भरोसा करे तो प्राधिकरण के साथ मिलकर इस खेल को इसीलिए खेला जा रहा है कि भविष्य में सरकार से दबाव बना कर इलाके को डूब क्षेत्र से मुक्त करा दिया जाए। सुनियोजित तरीके से चल रही रणनीति के पीछे सत्ताधारी दल के कुछ बड़े नेता भी शामिल हैं। इनमें से कईयों ने तो अयोध्या के विकास की घोषणा होते ही वहां जमीनों पर करीने से हाथ साफ किया।
अब महायोजना के तहत बढ़ते क्षेत्र को लेकर इस ओर निगाह लग गई है। जिस इलाके को डूब क्षेत्र बता कर प्राधिकरण अब नींद से जागा है वहां जमीनों की खरीद-फरोख्त 2014 में ही शुरू हो गई थी। उस समय कम दाम में जमीन की लालच में लोग भूमि खरीदते गए और निर्माण शुरू कराया। इसी बीच करीब 250 लोगों ने प्राधिकरण में नक्शे के लिए आवेदन किया जिसे प्राधिकरण के ही अनुबंधित आर्किटेक्ट ने बनाया। सवाल यही से खड़ा हो जाता है तब प्राधिकरण की नींद क्यों नहीं टूटी। हालांकि नक्शों की यह फाइलें अभी तक डम्प हैं जिन्हें लेकर प्राधिकरण सांस डकार तक लेने को नहीं तैयार है।
अब जब पूरे इलाके में 1000 से अधिक मकान बन गए और 700 की प्लाटिंग हो गई तो प्राधिकरण को डूब क्षेत्र की याद आ गई। इतना ही नहीं यहां करीब 30 फीसदी आवास सेना के रिटायर्ड लोगों के हैं। इसके अलावा डीएम के स्टोनों तक का मकान इसी क्षेत्र में बना हुआ है। 2014 से डूब क्षेत्र में विकसित हो रहे आवासीय इलाके में वर्तमान में बाकायदा मुख्य प्रवेश द्वार बना कर उसे तारा जी पुरम कालोनी का नाम दिया गया है।इतना ही नहीं सभी घरों में बिजली कनेक्शन और स्ट्रीट लाइट के साथ हाउस व वाटर टैक्स तक लिया जा रहा है। इन सबके बावजूद प्राधिकरण और जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद क्यों सोते रहे।
इन सवालों का जवाब देने से भी प्राधिकरण के जिम्मेदार कतरा रहे हैं। भू-माफिया और प्राधिकरण के गठजोड़ का आलम यह है कि जिस प्लाट के निर्माण को ध्वस्त किया गया है वह एक ही प्लाटर का है जबकि अगल-बगल के दूसरों द्वारा की गई प्लाटिंग जस की तस पड़ी हुई है। इस बाबत जब प्राधिकरण से जानकारी ली गई तो बताया गया कि फिलहाल ध्वस्तीकरण की कार्रवाई रूकी हुई है आगे देखा जायेगा। फिलहाल डूब क्षेत्र को लेकर उठा तूफान प्राधिकरण के लिए संकट बनना तय है।
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