बदले आरक्षण से कई उम्मीदें धराशायी, कई की राह खुली।
अयोध्या।
निकाय चुनाव में मेयर और चेयरमैन पद की बृहस्पतिवार को जारी नई आरक्षण सूची ने जिले में सियासी हलचल मचा दी है। नगर पंचायत खिरौनी को छोड़कर सभी सातों निकायों में आरक्षण ने स्थिति बदल दी। अब तक के अनेक दावेदारों ने मतदाताओं को रिझाने में जो लाखों रुपये खर्च किए थे, वह पानी में चले गए। जबकि दावेदारी से बाहर चल रहे चेहरों पर मुस्कान आ गई है। जिले में अयोध्या नगर निगम, रुदौली नगर पालिका के अलावा छह नगर पंचायतें हैं। इनमें तीन नगर पंचायतें कुमारगंज, खिरौनी और मां कामाख्या का गठन पहली बार हुआ है। इसमें सबसे बड़ा चुनाव नगर निगम मेयर का होना है। ऐसे में सबकी निगाहें यहां टिकी थीं। पहली बार नगर निगम का गठन होने पर अनारक्षित सीट से ऋषिकेश उपाध्याय मेयर चुने गए थे। लेकिन 5 दिसंबर 2022 को जब आरक्षण घोषित हुआ तो मेयर पद महिला आरक्षित हो गया था। ऐसे में निवर्तमान मेयर खुद ही रेस से बाहर हो गए थे। अब ये सीट अनारक्षित होने से वे एक बार फिर वे दौड़ में हैं। यह दीगर है कि चुनाव लड़ने से पहले उन्हें पार्टी से टिकट हासिल करना होगा। भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा आदि दलों से कई महिला नाम चुनावी चर्चा में थे। कुछेक ने तो चुनावी तैयारियों में भारी भरकम रकम भी खर्च कर डाली। अब इन्हें टिकट मिलना तय नहीं माना जा रहा है। उधर, रुदौली नगर पालिका में भी सीट अनारक्षित हो गई थी, जिससे सामान्य वर्ग के अनेक लोग दावा ठोंक रहे थे, उन्हें भी झटका लगा है। अब ये ओबीसी में चली गई है। इसी तरह भदरसा में भी अनारक्षित घोषित सीट ओबीसी खाते में चली गई है। यहां भी सामान्य वर्ग के दावेदार रेस से बाहर हो गए हैं। बीकापुर मेें परिवार की महिलाओं को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे लोग अब नए आरक्षण के तहत खुद भी मैदान में उतर सकेंगे। गोसाईंगंज में भी सामान्य वर्ग के दावेदारों को नई सूची ने झटका दे दिया है।
नई पंचायतों में बड़ा बदलाव
पिछली बार जारी आरक्षण सूची में जिले में तीन नवगठित नगर पंचायतों कुमारगंज, खिरौनी और मां कामाख्या आरक्षित खाते में चली गई थीं। कुमारगंज ओबीसी तो मां कामाख्या ओबीसी महिला आरक्षित सीट थी। किंतु अब यह दोनों ही सीटें अनारक्षित हो गई हैं। ऐसे में दोनों सीटों पर भारी बदलाव देखने को मिल रहा हे। यहां अब कई नए चेहरे चुनावी मैदान में उतरने की ताल ठोकने लगे हैं। जबकि खिरौनी में आरक्षण पूर्ववत रहने से यहां कोई असर नहीं पड़ा है।
मेयर और चेयरमैन पद का आरक्षण साफ हो जाने के बाद अब सभासद और पार्षद पद के लिए आरक्षण सूची का इंतजार शुरू हो गया है। इन सीटों पर भी बड़े बदलाव हो सकते हैं। फिलहाल तैयारियों में जुटे दावेदारों को झटका लग सकता है।