फिर रात में सुनसान इलाकों में क्यों की जाती वाहनों की चेकिंग
फिर रात में सुनसान इलाकों में क्यों की जाती वाहनों की चेकिंग |
परिवहन विभाग के प्रवर्तन दल के सदस्यों को ट्रक से रौंदने की घटना ने एक बार फिर रात्रि कालीन चेकिंग व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया।
जानकारों का कहना है कि रात में ही चेकिंग की जाए, इसकी कोई अनिवार्यता नहीं है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जान जोखिम में डालने की नौबत आखिर क्यों आती है। किसी पुलिस बूथ, थाने या चौराहे पर चेकिंग के बजाए सुनसान इलाके क्यों चयनित किए जाते हैं। गाहे-बगाहे इसको लेकर आरोप भी लगते हैं, लेकिन व्यवस्था मनमानी तरीके से चल रही है।
गोसाईंगंज इलाके में जिस वक्त घटना हुई, उस समय तकरीबन पौने चार बज रहे थे। यह समय नींद आने का होता है। इस कारण बहुत कम ही वाहन सड़कों पर दिखते हैं। इनमें ज्यादातर वे गाड़ियां होती हैं, जो नियम-कायदों का उल्लंघन कर संचालित होती हैं। इसी का फायदा उठाने से परिवहन विभाग के अधिकारी गुरेज नहीं करते। वहीं, पकड़े जाने के डर से चालक मरने-मारने पर आमादा हो जाते हैं।
दूसरी ओर परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वसूली का लक्ष्य पूरा करने और परिवहन व्यवस्था पर निगरानी के लिए रात में निकलना मजबूरी है। नो-एंट्री का नियम होने से ओवरलोड वाहन रात को ही सड़क पर आते हैं। साथ ही वाहनों के प्रपत्र, कर अदायगी आदि की स्थिति जानने के लिए संचालन के दौरान ही चेक किया जा सकता है। इसके लिए कम से कम दो सुरक्षा कर्मियों के साथ एआरटीओ प्रवर्तन सड़क पर जाते हैं।
रात में चेकिंग अभियान चलाने की विवशता पर संभागीय परिवहन अधिकारी अयोध्या संजय सिंह कहते हैं कि चेकिंग अनिवार्य नहीं है, पर निषिद्ध भी नहीं है। बेहतर परिणाम मिलें और अधिक से अधिक वाहनों की चेकिंग हो सके, इसके लिए प्रवर्तन दल रात में यह कार्य करता है।
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