पीएम आवास में धांधली पर परियोजना निदेशक निलंबित।
सुल्तानपुर।
सुल्तानपुर अधीनस्थ की गलती को छिपाना और उसे बचाना जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक को महंगा पड़ा। शासन ने उन्हें आईजीआरएस पर आई एक शिकायत के मामले में निलंबित कर दिया है। इसका आदेश भी जिलाधिकारी के पास आ गया है। भदैंया विकास खंड के गोमती किनारे सलाहपुर निवासी संगीता मिश्रा का कच्चा खपरैल और टिन शेड का घर है। तीन साल पहले उनका नाम पीएम आवास सूची में आया, जिसकी संस्तुति प्रधान सरोजा देवी और सचिव राकेश कुमार ने कर दी। आरोप है कि इसके बाद कमीशन को लेकर प्रधान व सचिव संगीत मिश्रा से नाराज हो गए और आवास संख्या आइडी यूपी 137912698 पर संगीता मिश्रा की जगह गांव की ही संगीता तिवारी को दे दिया गया। इसकी जानकारी पीड़ित को तब हुई जब इस आईडी पर आवास की पहली किस्त 40,000 की रकम जारी हो गई।
पीड़िता को जब जिले के अधिकारियों और सांसद से शिकायत के बाद भी इंसाफ नहीं मिला तो उसके (पुत्र) ने सीएम पोर्टल पर इसकी शिकायत कर दी। इस मामले में बीडीओ दिव्या सिंह ने जांच के नाम पर फर्जी रिपोर्ट तैयार करवाकर निस्तारण दर्शा दिया। फर्जी निस्तारण का यह मामला जब मुख्यमंत्री के संज्ञान में आया तो उन्होंने बीडीओ को निलंबित करने का आदेश दिया, किंतु जिले के अधिकारियों ने उनका बचाव किया। संगीत मिश्रा को मुख्यमंत्री आवास स्वीकृत करके शिकायत को क्लोज कर दिया। अब इसी मामले में संयुक्त सचिव प्रहलाद बरनवाल ने राज्य की ओर से परियोजना निदेशक कृष्ण करुणाकर पांडेय के निलंबन का आदेश जारी कर दिया है। जिलाधिकारी कृत्तिका ज्योत्सना ने आदेश मिलने की पुष्टि की है।
बीडीओ को जब 22 जुलाई 2023 को आईजीआरएस पर शिकायत की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने मातहतों से जांच करवाकर एक अगस्त को शिकायत का फर्जी निस्तारण कर दिया। निस्तारण रिपोर्ट में 27 जुलाई को गांव के किसी पक्के मकान की फोटो लगाकर प्रधान पति यशपाल तथा प्रधान के पड़ोसी रामसागर के हस्ताक्षर की गवाही कराकर जांच को फर्जी तरीके से निपटा दिया। जांच का परीक्षण कर बीडीओ भदैंया दिव्या सिंह ने सही जांच की संस्तुति भी की। बीडीओ के निलंबन आदेश के बाद जब दोबारा जांच हुई तो उसमें सच सामने आया। इसके बाद भी किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। संगीता तिवारी को दी गई पहली किस्त की रिकवरी करा ली गई और सचिव से जवाब तलब कर लिया गया। हालांकि पीडी की मानें तो सचिव को निलंबित कर दिया गया था।
अभी मेरी जानकारी में कोई आदेश नहीं आया है। आवास मामले में जहां भी कहीं शिकायतें मिली हैं, मैंने कार्रवाई की है। डेढ़ साल में अब तक तीन एफआईआर और आठ लोगों को सस्पेंड कर चुका हूं। आदेश आने के बाद ही मैं अपना पक्ष रखूंगा।
करुणाकर पांडेय, परियोजना निदेशक, डीआरडीए