पंचकोसी परिक्रमा में उमड़ा आस्था का सैलाब|
अयोध्या|
देवोत्थानी एकादशी के मुहूर्त में रामनगरी गहन आस्था के हार से सज्जित हुई। रामनगरी की पंचकोसी परिक्रमा कार्तिक शुक्ल एकादशी के मुहूर्त लगने के साथ गुरुवार को रात 8:33 बजे से ही शुरू हो गई, लेकिन उसका शिखर शुक्रवार को सूर्योदय के साथ परिभाषित हुआ। सूर्योदय के बाद के कुछ घंटे तक नगरी की पंचकोसीय परिधि में तिल तक रखने की जगह नहीं थी।
श्रद्धालुओं का ज्वार राम नाम जपते हुए आस्था के पथ पर पूरे हौसले से आगे बढ़ता जा रहा था। श्रद्धालुओं के समूह में युवाओं और प्रौढ़ लोगों सहित वृद्ध, महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। सभी के चेहरे पर पुण्य अर्जित करने का संतोष था। यद्यपि पांच कोस की पदयात्रा कम नहीं होती, लेकिन श्रद्धालु पूरे उत्साह से आगे बढ़ते जा रहे थे।
कई ऐसे थे जिन्होंने बुधवार को रामनगरी की ही 14 कोसी परिक्रमा की और एक दिन के अंतराल पर पंचकोसी परिक्रमा बगैर थके और हताश हुए बिना पूरे जोश से कर रहे थे। मान्यता है कि आराध्य श्रीराम की नगरी अयोध्या की परिक्रमा करने पर जीव को जन्म-मरण के बंधन से सदा के लिए छुटकारा मिलता है और वह बैकुंठ में मोक्ष का अधिकारी बनता है।