हमारे अस्तित्व व विकास के लिये प्रकृति द्वारा मिली चीजों का संरक्षण जरूरी-ओम प्रकाश
मुख्य अतिथि एफडी यादव ने कहा कि जैव विविधता का संरक्षण व उसका निरंतर उपयोग करना ही भारत का संस्कार है।
मवई अयोध्या।
- अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर अयोध्या वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय अधिकारी डा0 रवि कुमार सिंह के निर्देश पर रुदौली रेंज परिसर में समारोह पूर्वक एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता रुदौली वन क्षेत्राधिकारी ओम प्रकाश व संचालन मुकेश कुमार ने किया।साकेत महाविद्यालय अयोध्या के वनस्पति विज्ञान प्रोफेसर डा0 एफ0डी0 यादव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे।जिन्हें डिप्टी रेंजर वीरेंद्र तिवारी सैय्यद ततहीर अहमद व नरेंद्र राव ने पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया।
- गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए क्षेत्रीय वनाधिकारी ओम प्रकाश ने जैव विविधता पर कहा कि लाखों विशिष्ट जैविक की कई प्रजातियों के रूप में पृथ्वी पर जीवन उपस्थित है और हमारा जीवन प्रकृति का अनुपम उपहार है।अत: पेड़-पौधे अनेक प्रकार के जीव-जंतु मिट्टी हवा पानी महासागर-पठार समुद्र-नदियां इन सभी प्रकृति की देन का हमें संरक्षण करना चाहिए।क्योंकि यही हमारे अस्तित्व एवं विकास के लिए काम आती है।
- भारत में दुनिया का केवल 2.4 प्रतिशत भू-भाग है जिसके सात से आठ प्रतिशत भू-भाग पर विश्व की विभिन्न जीव जंतुओं की प्रजातिया पाई जाती हैं। इस मामले में भारत स्तनधारियों में सातवें, पक्षियों में नौंवें और सरीसृप में पांचवें स्थान पर है। विश्व के 11 प्रतिशत के मुकाबले भारत में 44 प्रतिशत भू-भाग पर फसलें बोई जाती हैं। भारत के 23.39 प्रतिशत भू-भाग पर पेड़ और जंगल फैले हुए हैं।वही डिप्टी रेंजर सैय्यद ततहीर अहमद ने बताया कि हमारे जीवन में जैव-विविधता का काफी महत्व है। हमें एक ऐसे पर्यावरण का निर्माण करना है, जो जैव- विविधता में समृद्ध, टिकाऊ और आर्थिक गतिविधियों के लिए हमें अवसर प्रदान कर सकें।
- डिप्टी रेंजर वीरेंद्र तिवारी ने कहा कि जैव-विविधता के कमी होने से प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, सूखा और तूफान आदि आने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है अत: हमारे लिए जैव-विविधता का संरक्षण बहुत जरूरी है।वही फॉरेस्टर नरेंद्र राव ने गोष्ठी में आये लोगो को बताया कि जैव विविधता का संरक्षण और उसका निरंतर उपयोग करना भारत के संस्कार का एक हिस्सा है।अभूतपूर्व भौगोलिक और सास्कृतिक विशेषताओं ने मिलकर जीव जंतुओं की इस अद्भुत विविधता में योगदान दिया है जिससे हर स्तर पर अपार जैविक विविधता देखने को मिलती है।
- इसके अलावा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में आये साकेत महाविद्यालय के प्रोफेसर डा0 एफ0 डी0 यादव ने गोष्ठी में आये लोगों को बताया कि आज जैव विविधता का संरक्षण एक अहम मुद्दा है।प्राकृतिक एवं पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में जैव-विविधता का महत्व देखते हुए ही जैव-विविधता दिवस को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।इन्होंने बताया कि विश्व की जैव विविधता को कई कारणों से चुनौती मिलती है। सरकारी एजेंसियों और संगठनों तथा व्यक्तिगत स्तर पर जैविक विविधता के संवर्धन और उसके संरक्षण की बड़ी चुनौती है। साथ-साथ हमें प्राकृतिक संसाधनों से लोगों की जरूरतों को भी पूरा करना होता है।चहुंओर से जैव विविधता को बचाने का अभियान चलाया गया है।
- डीएफओ डा0 रवि कुमार ने वॉयस आफ लखनऊ के रिपोर्टर से बातचीत करते हुए बताया कि इस दिवस को नैरोबी में 29 दिसंबर 1992 को हुए जैव-विविधता सम्मेलन में मनाने का निर्णय लिया गया था।किंतु कई देशों द्वारा व्यावहारिक कठिनाइयां जाहिर करने के कारण इस दिन को 29 मई की बजाय 22 मई को मनाने का निर्णय लिया गया था।इसका मुख्य उद्देश्य वनों की सुरक्षा संस्कृति जीवन के कला शिल्प संगीत वस्त्र-भोजन औषधीय पौधों इमारती व फलदार पेडों झील तालाब कीट पतंगों जीव जंतुओं का महत्व आदि को प्रदर्शित करके जैव-विविधता के महत्व एवं उसके न होने पर होने वाले खतरों के बारे में जागरूक करना है।गोष्ठी में मुख्य रूप से पर्यावरण प्रेमी पचलो गांव के प्रधान प्रतिनिधि सैय्यद तामीर अहमद मैनुद्दीन खां गुड्डू खां अरविंद मिश्र हरिशंकर यादव जगदीश यादव रामकेवल यादव शीतला प्रसाद यादव मोहम्मद खान हनुमान प्रसाद आदि लोग मौजूद रहे।
औषदीय व शोभाकार पौधों का हुआ वितरण
- जैव विविधता दिवस पर आयोजित गोष्ठी के बाद रुदौली के क्षेत्रीय वनाधिकारी ओम प्रकाश द्वारा कार्यक्रम में आये मुख्य व विशिष्ट अतिथियों सहित गणमान्य नागरिकों को औषदीय व शोभकार पौधे भी वितरित किए गए।वितरण किये पौधों में बालमखीरा कनकचम्पा चक्रेसिया टबोविया पीपल नीम इमली आदि पौधों को लोगों में वितरित किया गया।क्षेत्रीय वनाधिकारी ने बताया कि ऐसे तम्माम औषदीय व शोभाकार पौधे है जो विलुप्त होने के कगार पर है जिन्हें संरक्षित करने की जरूरत है।