जैसे शारीरिक बीमारियों में कैंसर आखिरी लक्षण माना गया है ठीक तरह तरह मानसिक रोगों में आत्महत्या आखिरी लक्षण : डाक्टर प्रदीप कुमार
नितेश सिंह ब्यूरो रिपोर्ट अयोध्या
आत्महत्या एक तरह से अब बीमारी मान ली गई है पहले इसको एक दोष माना जाता था और इसपे क्रिमिनल एक्शन लिया जाता था लेकिन अब ये एक बीमारी मान ली गई है।यह बातें तहसील रूदौली के सभागार में सिटी हॉस्पिटल भेलसर चौराहे के सौजन्य से शनिवार को आयोजित मानसिक रोग व अवसाद शिविर में बीएचयू बनारस के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ0 प्रदीप कुमार यादव ने कही।
उन्होंने कहा कि कई तरह की बीमारियां शरीर मे जब अपने चरम पर पहुच जाती है तो आत्महत्या की प्रवृति में इंसान आ जाता है अगर इसका समय से समाधन न हुआ तो जैसे शारीरिक बीमारियों में कैंसर आखिरी लक्षण माना गया है उसी प्रकार मानसिक रोगों में भी आत्महत्या आखिरी लक्षण है।अगर समय से इसका इलाज हो जाये तो इस अवसाद से ग्रस्त मरीज को बचाया जा सकता है।
शिविर को सम्बोधित करते हुए उन्होंने बताया कि मानसिक बीमारियों में दो कटेगरी होती है एक मे मरीज को पता रहता है कि हमे कौन सी बीमारी है जैसे उदासी,घबराहट,नींद न आना आदि शामिल है दूसरे में मरीज को खुद नही पता रहता है कि हमे कौन सी बीमारी है जिसमे मरीज का व्यवहार बदल जाता है, कभी कभी खुद बुदबुदाता है, गुस्सा कर सकता है और शक की प्रवृतियां, डर लगना आदि भी मानसिक रोग होने के लक्षण है।
इसलिए समय से मानसिक रोगों के लक्षण पहचान में आ जाये तो तत्काल डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए इसका इलाज संभव है।
उपजिलाधिकारी ज्योति सिंह ने शिविर को सम्बोधित करते हुए अपने अनुभवों को साझा किया।
कार्यक्रम मे मुख्य रूप से सिटी हास्पिटल के एमडी डाक्टर विक्रम पाल सिंह, तहसीलदार शिव प्रसाद, नायाब तहसीलदार पैगाम हैदर, बार एशोसिएशन के अध्यक्ष इन्द्रसेन मिश्रा, महामंत्री रमेश शुक्ल, पूर्व बार अध्यक्ष अफसर रजा रिजवी, सर्वदामन पांडेय, राम भोला तिवारी, अब्दुल हई खां, गया शंकर कश्यप, अम्बिका यादव, रामेश्वर यादव, वीरेंद्र यादव, अमित यादव, गौतम मौर्य सहित तमाम अधिवक्ता व प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।
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