(1) सुबह उठते वक़्त 8 बार :- अष्ट कर्मों को जीतने के लिए।
(2) भोजन के समय 1 बार :- अमृत समान भोजन प्राप्त होने के लिए ।
(3) बाहर जाते समय 3 बार :- समृद्धि सफलता और सिद्धि के लिए।
(4) मन्दिर में 12 बार :- प्रभु के गुणों को याद करने के लिए।
(5) छींक आए तब गायत्री मंत्र उच्चारण 1 बार :- अमंगल दूर करने के लिए।
(6) सोते समय 7 बार :- सात प्रकार के भय दूर करने के लिए।
ॐ भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है।
हे प्रभू आप हमारे जीवन के दाता हैं। आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं।।
हे संसार के विधाता हमें शक्ति दो कि हम आपकी ऊर्जा से शक्ति प्राप्त कर सकें, कृपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें।।
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं
• ॐ = प्रणव • भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाले • भुवः = दुख़ों का नाश करने वाले • स्वः = सुख़ प्रदान करने वाले • तत = वह, • सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल • वरेण्यं = सबसे उत्तम • भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाले • देवस्य = प्रभू • धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान) • धियो = बुद्धि • यो = जो, • नः = हमारी, • प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें।