IMG 20230816 220101 181 - कहानी एक बहुत लालची आदमी की ।

कहानी एक बहुत लालची आदमी की ।

अयोध्या आस-पास

कहानी एक बहुत लालची आदमी की ।

IMG 20230816 220101 181 1 - कहानी एक बहुत लालची आदमी की ।

अयोध्या।

एक आदमी बहुत ही लालची था। उसने यह सुन रखा था की अगर संतो की सेवा करे तो उनसे बहुत सारा धन प्राप्त होता है। यह सोच कर उसने साधू-संतो की सेवा करनी प्रारम्भ कर दी।

एक बार उसके घर बड़े ही चमत्कारी संत आये। उन्होंने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर उसको चार दीये दिए और कहा, इनमे से एक दीया जला लेना और पूरब दिशा की ओर चले जाना जहाँ यह दीया बुझ जाये, वहां की जमीन को खोद लेना, तुम्हे काफी धन मिल जायेगा। अगर फिर तुम्हे धन की आवश्यकता पड़े तो दूसरा दीया जला लेना और पक्षिम दिशा की ओर चले जाना, जहाँ यह दीया बुझ जाये, वहा की जमीन खोद लेना तुम्हे मन चाही माया मिलेगी। अगर फिर भी संतुष्टि ना हो तो तीसरा दीया जला लेना और दक्षिण दिशा की ओर चले जाना। उसी प्रकार दीया बुझने पर जब तुम वहाँ की जमीन खोदोगे तो तुम्हे बेहिसाब धन मिलेगा। तब तुम्हारे पास केवल एक दीया बच जायेगा और एक ही दिशा रह जायेगी। तुमने यह दीया ना ही जलाना है और ना ही इसे उत्तर दिशा की ओर ले जाना है।

यह कह कर संत चले गए, लालची आदमी उसी वक्त पहला दीया जला कर पूरब दिशा की ओर चला गया। दूर जंगल में जाकर दीया बुझ गया। उस आदमी ने उस जगह को खोदा तो उसे पैसो से भरी एक गागर मिली। वह बहुत खुश हुआ। उसने सोचा की इस गागर को फिलहाल यही रहने देता हूँ, फिर कभी ले जाऊंगा। पहले मुझे जल्दी ही पक्षिम दिशा वाला धन देख लेना चाहिए। यही सोच कर उसने दूसरे दिन दूसरा दीया जलाया और पक्षिम दिशा की ओर चल पड़ा। दूर एक उजाड़ स्थान में जाकर दीया बुझ गया। वहा उस आदमी ने जब जमीन खोदी तो उसे सोने की मोहरों से भरा एक घड़ा मिला। उसने घड़े को भी यही सोचकर वही रहने दिया की पहले दक्षिण दिशा में जाकर देख लेना चाहिए। वह जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा धन प्राप्त करने के लिए वह बेचैन हो गया। अगले दिन वह दक्षिण दिशा की ओर चल पड़ा। दीया एक मैदान में जाकर बुझ गया। उसने वहा की जमीन खोदी तो उसे हीरे-मोतियों से भरी दो पेटिया मिली। वह आदमी अब बहुत खुश था।

तब वह सोचने लगा अगर इन तीनो दिशाओं में इतना धन पड़ा है तो चौथी दिशा में इनसे भी ज्यादा धन होगा। फिर उसके मन में ख्याल आया की संत ने उसे चौथी दिशा की ओर जाने के लिए मना किया है। दूसरे ही पल उसके मन ने कहा, हो सकता है उत्तर दिशा की दौलत संत अपने लिए रखना चाहते हो। मुझे जल्दी से जल्दी उस पर भी कब्ज़ा कर लेना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा धन प्राप्त करने की लालच ने उसे संतो के वचनों को दुबारा सोचने ही नहीं दिया।

अगले दिन उसने चौथा दीया जलाया और जल्दी-जल्दी उत्तर दिशा की ओर चल पड़ा। दूर आगे एक महल के पास जाकर दीया बुझ गया। महल का दरवाज़ा बंद था। उसने दरवाज़े को धकेला तो दरवाज़ा खुल गया। वह बहुत खुश हुआ। उसने मन ही मन में सोचा की यह महल उसके लिए ही है। वह अब तीनो दिशाओं की दौलत को भी यही ले आकर रखेगा और ऐश करेगा।

वह आदमी महल के एक-एक कमरे में गया। कोई कमरा हीरे-मोतियों से भरा हुआ था। किसी कमरे में सोने के आभूषण भरे पड़े थे। इसी प्रकार अन्य कमरे भी अकूत धन से भरे हुए थे। वह आदमी चकाचौंध होता जाता और अपने भाग्य को शाबासी देता। वह जरा और आगे बढ़ा तो उसे एक कमरे में चक्की चलने की आवाज़ सुनाई दी। वह उस कमरे में दाखिल हुआ तो उसने देखा की एक बूढ़ा आदमी चक्की चला रहा है। लालची आदमी ने बूढ़े से कहा की तू यहाँ कैसे पंहुचा। बूढ़े ने कहा, ऐसा कर यह जरा चक्की चला, मैं सांस लेकर तुझे बताता हूं।

लालची आदमी ने चक्की चलानी प्रारम्भ कर दी। बूढ़ा चक्की से हट जाने पर जोर हँसने लगा। लालची आदमी उसकी ओर हैरानी से देखने लगा। वह चक्की बंद ही करने लगा था की बूढ़े ने खबरदार करते हुए कहा, ना ना चक्की चलानी बंद ना कर। फिर बूढ़े ने कहा, यह महल अब तेरा है। परन्तु यह उतनी देर तक खड़ा रहेगा जितनी देर तक तू चक्की चलाता रहेगा। अगर चक्की चक्की चलनी बंद हो गयी तो महल गिर जायेगा और तू भी इसके नीचे दब कर मर जायेगा। कुछ समय रुक कर बूढ़ा फिर कहने लगा मैंने भी तेरी ही तरह लालच करके संतो की बात नहीं मानी थी और मेरी सारी जवानी इस चक्की को चलाते हुए बीत गयी।

वह लालची आदमी बूढ़े की बात सुन कर रोने लगा। फिर कहने लगा, अब मेरा इस चक्की से छुटकारा कैसे होगा?”

बूढ़े ने कहा, जब तक मेरे और तेरे जैसा कोई आदमी लालच में अंधा होकर यहाँ नही आयेगा। तब तक तू इस चक्की से छुटकारा नहीं पा सकेगा।” तब उस लालची आदमी ने बूढ़े से आखरी सवाल पूछा,”तू अब बाहर जाकर क्या करेगा?

बूढ़े ने कहा, मैं सब लोगो से कहूँगा, लालच बुरी बला है।

।। जय श्री सीताराम ।।

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