कुमारगंज वन रेंज अंतर्गत खंडासा क्षेत्र के चिरौली गांव स्थित सूबेदार के पुरवा में हिंसक जानवर द्वारा 5 दिन के अंदर आधा दर्जन बकरियों को मारकर निवाला बनाकर आतंक का पर्याय बना भेड़िया ग्रामीणों एवं वन कर्मियों की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार पिंजरेे में कैद हो गया है। हिंसक भेड़िए के पकड़े जाने की जानकारी के बाद दहशत में जी रहे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
बताते चलें कि खंडासा थाना क्षेत्र के चिरौली गांव अंतर्गत स्थित सूबेदार के पुरवा निवासी मोहम्मद सिराज के घर के सामने स्थित छप्पर में बंधी एक बकरी को बीते सोमवार की रात किसी हिंसक जानवर ने दबोच लिया था और उसके गले तथा शरीर पर नाखून और खरोच के निशान मिले थे। किंतु ग्रामीणों ने बकरी के मरने की घटना को नजरअंदाज कर दिया था। इसके बाद बीते शुक्रवार की रात हिंसक जानवर ने दूसरी बार सिराज के तीन बकरियों को दबोच लिया और उन्हें मार डाला था। घटना की जानकारी के बाद ग्रामीणों की भारी भीड़ मौके पर इकट्ठा हो गई थी। ग्रामीणों का कहना था कि बकरी के गले पर हिंसक जानवर द्वारा वार किया गया था। जिसमें किसी हिंसक जानवर के नाखून के खरोच और झपट्टा भी देखने को मिले थे। बकरियों को एक साथ मरा देख ग्रामीणों के रोंगटे खड़े हो गए थे और यह वारदात जंगल में आग की तरह समूचे क्षेत्र में फैल गई थी। घटना की सूचना मिलते ही कुमारगंज वन रेंज के वन कर्मियों की टीम मौकेेेे पर पहुंचकर घटनास्थल का गहन निरीक्षण करते हुए हिंसक जानवर की छानबीन में जुट गए थे। एक दो दिन तो क्षेत्रीय वन दरोगा अतुल कुमार निषाद वन कर्मियोंं की टीम लेकर ग्रामीणों के साथ देखे गए थेे किंतु उनकी भी तेजी ठंंड पड़ गई थी।
मिल्कीपुर बीट में काम कर रहे प्राइवेट वन कर्मियों वाचर अनिल कुमार यादव, पवन कुमार एवं दीपक सिंह के सहारे रात्रि गश्त की जिम्मेदारी सौंंप कर अपने घरों पर आराम फरमाते रहे। उधर तीनों वाचरों ने ग्रामीणों के साथ गांव के इर्द-गिर्द जंगल में जाल लगाया था और वन विभाग के दो पिंजरे भी लगा दिए थे। शुक्रवार की रात करीब 11:45 बजे अचानक आतंक का पर्याय बना भेड़िया पिंजरे में फंस गया। रात में ही ग्रामीणों की भारी भीड़ पिंजरे में कैद भेड़ियों को देखनेे के लिए मौकेेे पर एकत्र हो गई। ग्रामीणों के साथ कांबिंग कर रहे वाचर अनिल, पवन एवं दीपक ने प्राइवेट पिक अप वाहन से पिंजरे में कैद भेड़िए को अग्रिम कार्यवाही हेतु वन रेंज कार्यालय कुमारगंज पहुंचाया।
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