अयोध्या: कुम्लाह रही है धान की नर्सरी, खेतों में उड़ रही है धूल, सूखे का संकट
जिले में खरीफ की बुवाई लगभग एक महीने पिछड़ गई है। सामान्य मानसून स्थितियों में जिले में 15 जून से लेकर 15-20 जुलाई के बीच खरीफ की बुवाई हो जाती है। प्रमुख फसलों में धान, मक्का के अलावा अरहर, तिल, उड़द और मूंग की फसलों की केवल 10 फीसदी ही बुवाई हो सकी है। बहुसंख्य किसान अभी भी बारिश के लिए आसमान की ओर निहार रहे हैं।
हाल यह है कि बारिश के इंतजार में किसानों की आंखें पथरा रही हैं,धान की नर्सरी कुम्हला रही है। खेतों में अभी तक धूल उड़ी रही है तेज धूप की तपिश से जो नमी थी वह भी गायब हो रही है। मौसम का रुख देखकर किसान सिंचाई के दूसरे माध्यमों से सिंचाई कर फसल की रोपाई की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं।
जो किसान सक्षम हैं वे सिंचाई करके फसल की बुवाई कर सकते हैं। हालांकि देर से बुवाई करने से फसलों के उत्पादन पर असर पड़ेगा। मानसून की बेरुखी में सिंचाई के दूसरे विकल्पों से फसल की लागत डेढ़ से दो गुनी हो सकती है। छुट्टा मवेशी के कारण फसलों का होने वाला नुकसान और फिर कोल्ड स्टोरेज में आलू का सड़ जाना, बैंकों की कर्ज वसूली किसानों पर भारी पड़ रही है। महंगाई ने किसानों की कमर तोड़ रखी है। आषाढ़ माह बीत रहा है, लेकिन वर्षा का नामोनिशान नहीं है। तपन इतनी बढ़ गई है कि क्षेत्र के अधिकांश ताल तलैया सूख चुके हैं।