अयोध्या: उमस बरकरार, चार दिन बाद बारिश के आसार
जुलाई माह का एक सप्ताह बीतने के बाद भी अयोध्या की धरा अभी तक सूखी हुई है। बारिश की हल्की बूंदों ने मानूसन आने की दस्तक दी, लेकिन उससे उमस और बढ़ गई। नतीजतन चिपचिप गर्मी, उल्टी, दस्त व डायरिया के मरीज बढ़ गए। एसी-कूलर फेल हो गए हैं। बारिश न होने के कारण धान लगाने वाले किसान इंद्र देव से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले वर्ष जुलाई माह में 290 एमएम बरसात ने लोगों को तर-बतर कर दिया था, लेकिन इस बार बंगाल की खाड़ी में मानसूनल सिस्टम न बन पाने की वजह से बारिश में देरी हो रही है। हालांकि लोगों को बारिश के लिए अभी चार से पांच दिन और इंतजार करना पड़ेगा।
इस वर्ष मार्च माह लगते ही और होली बीतने के बाद से ही गर्मी शुरू हो गई। अप्रैल बीतते व जून के पहले सप्ताह में भयंकर गर्मी पड़ने लगी। सूर्य देव की किरणें कब सुबह को दोपहर में तब्दील कर देती थीं पता भी नहीं चलता था। 16-17 जून में प्री मानसून आया, लेकिन फिर भी बारिश नहीं हुई, लेकिन मानसून की आहट के लिए एक दो-दिन कहीं-कहीं बारिश की बूंदें गिरीं। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो मानसून भी 22 से 25 जून के बीच आ गया है, लेकिन मॉइश्चर न होने के कारण बारिश नहीं हो रही है। नरेंद्र देव कृषि विवि के मौसम वैज्ञानिक सीताराम मिश्र ने बताया कि जुलाई के पहले सप्ताह में अभी तक 10 एमएम ही बारिश हो सकी है। चार दिन बाद ही बारिश के आसार हैं।
अमूमन देखा जाता है कि रीडगंज में बारिश होती है और सिविल लाइंस सूखा ही रह जाता है। इसे मौसम वैज्ञानिकों की भाषा में लोकल सिस्टम कहा जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब किसी एक इलाके या क्षेत्र में हवाओं के साथ मॉयश्चर आता है तो ऐसी स्थिति में बारिश होती है, जिससे उमस और बढ़ जाती है।
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि बारिश न होने के कारण धान लगाने वाले किसानों को दिक्कतें हो रही हैं। जब तक ठीक से बरसात नहीं होगी तब तक बेरन नहीं लग पाएंगे, जबकि थोड़ी बारिश के बाद नमी होने से अरहर, मक्का, मूंग व उड़द लगाने वाले किसानों की बुवाई अच्छी हो सकती है।