✍राजेन्द्र तिवारी, अयोध्या
- मै तमसा हूँ । मैं वही तमसा जिसके तट पर प्रभु श्री राम ने वन गमन के समय प्रथम रात विश्राम किया था। मैंने प्रभु को मातृत्व प्रदान किया था। मेरे उद्गम स्थल जिले के अंतिम पश्चिमी छोर पर स्थित मवई ब्लॉक क्षेत्र के लखनीपुर गांव के समीप है।मैं कभी लोगों के लिए जीवनदायिनी सिद्ध हुआ करती थी। पशु पक्षी मेरे शीतल जल को पीकर तृप्त होते थे।
- किसानों के लिए भी मेरा जल वरदान साबित था। लेकिन आज मेरा जीवन खुद संकट में है। रामायण कालीन तमसा नदी अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है। भगवान राम के प्रथम वास की गवाह रही तमसा के सिमटते दायरे और जमा सिल्ट से कसमसा रही है और निगाह लगाए हैं…. कि कब कौन आगे बढ़े और उनके लिए भागीरथ बन जाए। जानकार तो यहाँ तक कहते हैं कि तमसा को बचाने के लिए यदि जल्द कोई ठोस योजना नहीं बनी तो वह दिन दूर नहीं जब तमसा नदी सिर्फ मान्यता बनकर रह जाएगी।
- बता दें कि पौराणिक तमसा नदी कभी अवध क्षेत्र की पहचान हुआ करती थी । वन गमन के समय श्री राम लक्ष्मण व सीता अयोध्या के बाहर सर्वप्रथम तमसा नदी के तट पर विश्राम करके इसको धन्य बना दिया था। इसका उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में प्रथम वास तमसा भयो दूसर सुरसरि तीर’ के माध्यम से किया है। परंतु समाजसेवियों नेताओं व प्रशासनिक अधिकारियों की घोर उदासीनता के चलते यह नदी अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही है।अब यह न तो जीवनदायिनी ही रही और ना ही इसका पानी आचमन योग्य है। कभी नदी का पानी पीकर लोग गर्मी व अन्य मौसम में अपनी प्यास बुझा लेते थे पर अब कालांतर में नदियों के भरपूर दोहन और दुरुपयोग होने के कारण इसका पानी अब स्वच्छ नहीं रह गया है। गर्मी के मौसम में यह नदी कहीं-कहीं अक्सर सूख जाती है या फिर कहीं -कहीं पर दूषित पानी ही रहता है।
- अवध क्षेत्र की प्रमुख नदियों में अपनी पहचान बनाने वाली इस नदी को मड़हा व तमसा के नाम से भी जाना जाता है।इस नदी का उद्गम स्थल मवई के ग्राम लखनीपुर में माना जाता है।यहाँ पर एक सरोवर से इसका अभ्युदय हुआ है।तमसा नदी मवई रुदौली अमानीगंज सोहावल मिल्कीपुर बीकापुर तारुन और गोसाईगंज होते हुए पड़ोसी जनपद अंबेडकरनगर की कटेहरी क्षेत्र के धार्मिक स्थल श्रवण क्षेत्र तक जाती है । तमसा नदी के घाटों से पौराणिक स्मृतियां जुड़ी हुई हैं ।रामपुर भगन का गौरा घाट गोसाईगंज का महादेवा सत्संग घाट व सीता राम घाट सहित ऐतिहासिक और पौराणिक महत्त्व रखने वाली तमसा नदी आज प्रदूषण के कारण जहरीली हो जाने के कारण अभिशप्त है। औद्योगिक इकाइयों के कचरे से पवित्र नदी का जल प्रदूषित हो गया है जो मछलियों पशु पक्षियों और मनुष्यों के लिए घातक साबित हो रहा है।तमसा नदी के जीर्णोद्धार की कार्ययोजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई ।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल तमसा नदी के जीर्णोद्धार की पिछले साल तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ अनिल पाठक के द्वारा तैयार की गई कार्य योजना परवाना चढ़ने से पहले ही भ्रश्टाचार की भेंट चढ़ गई।मवई ब्लॉक के लखनीपुर गांव से निकली तमसा नदी अयोध्या जनपद के रुदौली अमानीगंज सोहावल बीकापुर तारुन गोसाईगंज होते हुए अंबेडकरनगर में प्रवेश कर जाती है । नदी के बदले हुए रूप के जीर्णोद्धार की कार्य योजना तैयार की गई जिसमें करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
- इस नदी के जीर्णोद्धार में अमानीगंज विकासखंड में ही लाखो रुपए के घोटाले का मामला तब प्रकाश में आए जब इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक दर्ज कराई गई। जांच के नाम पर अमानीगंज के खंड विकास अधिकारी विकास सिंह ने मामले में लीपापोती करते हुए प्रधान और ग्राम पंचायत सचिव को नोटिस जारी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली थी। उधर कोरोना महामारी के चलते जाँच ठंडे बस्ते में डाल दी गई । कई शिकायतों के बाद भी कार्यवाही न होने पर शिकायतकर्ताओं ने प्रमुख सचिव से मामले की शिकायत की जिस पर जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने शिकायत की गंभीरता को देख कर चार सदस्यों की टीम गठित कर मामले की जांच करवाई तो अधिकारियों का माथा ठनक गया। शासकीय अधिवक्ता से राय लेने के बाद मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया।
- प्रमुख सचिव कार्यालय को अमावासूफी गांव के एक ही व्यक्ति के नाम दो मनरेगा का जाब कार्ड बनाकर एक ही दिन में एक ही समय एक ही व्यक्ति द्वारा दो स्थानों पर फर्जी तरीके से काम करवा कर भुगतान करा देने की शिकायत की गयी। शिकायत के अनुसार ग्राम पंचायत अमावासूफी के एक ही परिवार के पिता पुत्र व माता के नाम अलग-अलग जॉब कार्ड बनाकर धन की बंदरबांट की गई। तमसा खुदाई की इस महत्वकांक्षी परियोजना में बड़े पैमाने पर घोटाले की बानगी मात्र अमावासूफी में देखने को मिली है जबकि पूरे जिले में तमसा नदी के किनारे अगल-बगल बस एक गांव से कराई गई खुदाई में इस तरह के मामलों को अगर जोड़ दिया जाए तो यह घोटाला करोड़ों रुपए में जा सकता है।पूर्व में महादेवा घाट सीता राम घाट व सत्संग घाट पर सुबह स्नान व पूजन करने वालों का जमावड़ा रहता था।
- 84 कोसी परिक्रमा मार्ग का पड़ाव होने की वजह से महादेवा घाट पर रोजाना ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते थे।लेकिन जलकुंभी कचरा व गंदे पानी से तमसा नदी अपना वजूद खोंने के कगार पर है। तमसा नदी नालों के पानी गंदगी व कीचड़ से कराह रही है।तमसा नदी को बचाने के लिए संघर्ष समिति का गठन किया गया। समिति समय-समय पर नदी की सफाई का अभियान भी छेड़ती है लेकिन इस मुहिम की उम्मीद के मुताबिक और लोग नहीं जुड़ पा रहे हैं। इसके बावजूद समित तमसा को बचाने के लिए सक्रिय है।
- बीते कई सालों से समिति तमसा को बचाने के लिए मुख्यमंत्री से लेकर उच्चाधिकारियों को पत्र लिख चुकी है । तमसा नदी के लिए कौन भगीरथ बन के आता है यह तो समय के गर्भ में है परंतु हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि प्रदूषण को नियंत्रित करते हुए नदी सफाई अभियान में अपना भी सहयोग प्रदान करें। क्योंकि शासन स्तर की परियोजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा रही हैं ।परियोजनाओं को संचालित करने वाले केवल अपना स्वार्थ देख रहे हैं उन्हें यह नहीं दिखाई देता है कि भविष्य में जो समस्या आएगी उसमें उनके परिवार के लोग भी प्रभावित होंगे।